डीएनए (DNA): डी आक्सी राइबो न्युक्लिक अम्ल
डीएनए (DNA), जिसे हम जीवन का ब्लूप्रिंट भी कहते हैं, हर जीवित प्राणी के शरीर के भीतर मौजूद वह कोड है जो उनके शारीरिक गुणों और कार्यों को नियंत्रित करता है। डीएनए के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। हम इसे विस्तार से जाननें की कोशिश करेंगे । कि डीएनए क्या है, इसकी संरचना कैसी होती है, और यह कैसे कार्य करता है।
* DNA क्या हैं
• DNA एक आनुवांशिक पदार्थ है। एक पीढ़ी के लक्षणों को दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित करने का कार्य करता है।
• स्विट्जरलैंड के प्रसिद्ध वैज्ञानिक फ्रेडरिक मिशर ने सन् 1869 में केन्द्रक में मिलने वाले अम्लीय पदार्थ DNA की खोज की। इन्होंने इसे न्यूक्लिन नाम दिया।
• DNA पादप विषाणु के अतिरिक्त सभी सजीवों में स्थित महत्वपूर्ण ‘‘जैव रासायनिक यौगिक’’ हैं इसे शरीर की आत्मा भी कहा जाता हैं।
• यह सभी जीवित प्राणियों और कई विषाणुओं (viruses) के अनुवांशिक निर्देशों (genetic instructions) को संग्रहित करता है। ये निर्देश बताते हैं कि जीव कैसे विकसित होगा, चलेगा और प्रजनन करेगा।
#. DNA का रासायनिक संघटन
• शर्करा –
• DNA में डी. आक्सीराइबोस शर्करा पाई जाती है।
• फास्फेट समूह
• फास्फेट अम्ल (H2Bo4) के रूप में होता हैं।
• नाइट्रोजनी क्षारक
• नाइट्रोजनी क्षारक दो प्रकार के होते हैं।
प्युरीन और पिरिमिडीन
।. प्युरीन दो क्षारक से मिलकर बना होता है
' एडिनीन(A)'. ग्वानीन (G)
।।. पिरीमिडीन दो क्षारक से मिलकर बना होता है।
थाइमीन (T). Our साइटोसीन (C)
DNA की संरचना ( वाटसन और फ्रिक माॅडल )
• DNA एक डबल हेलिक्स (Double helix) संरचना में होता हैं, जो दो लंबी श्रृंखलाओं (chains) से बना होता है।
• द्विकुण्डलित और सर्पिलाकार।
• DNA पाली न्युक्लियोटाइड श्रृंखला की बनी हुई होती हैं द्विकुण्डलित, सर्पिलाकार या सीढ़ीनुमा संरचना होती हैं।
• DNA में चार प्रकार के न्यूक्लियोटाइड (nucleotides) होते हैं: एडेनिन (Adenine - A), थायमिन (Thymine - T), ग्वानिन (Guanine - G) और साइटोसिन (Cytosine - C)।
• जिसमें एडिनीन (A) हमेशा थायमीन (T) से जुड़ता है और ग्वानीन (G) हमेशा साइटोसीन (C) से जुड़ता हैं।
• एडिनीन , थायमीन के साथ दो हाइड्रोजन बन्ध से तथा ग्वानीन , साइटोसीन के साथ तीन हाइड्रोजन बन्ध द्वारा जुड़ा हुआ रहता है।
• इसके प्रत्येक समाक्षर की दुरी 3.4 A° होती हैं तथा प्रत्येक 10 समाक्षर के बाद एक ऐठन करता है।
जिसकी दूरी 34A° होती हैं तथा इसकी चौड़ाई 20A°होती है। DNA के घुमाव में एक दीर्घ खांच व लघु खांच होती हैं।
• हमारे शरीर की हर कोशिका के नाभिक (nucleus) में डीएनए मौजूद होता है।
• डीएनए ही माता-पिता से संतान तक गुणों का स्थानांतरण
(inheritance) करता है।
डीएनए पराकुण्डलन (packing of DNA)
• डीएनए एक दीर्घ और जटिल अणु है जो सभी जीवों की आनुवांशिक जानकारी को संचित करता है। चूंकि डीएनए की लम्बाई कोशिका के आकार से कई गुना अधिक होती हैं
इसलिए उसे अत्यधिक कुंडली बनाकर सहेजना पड़ता है।
इस कुंडली बनाने वाली प्रक्रिया को पराकुण्डलन
(supercoiling) कहा जाता हैं
पराकुण्डलन क्या है
• पराकुण्डलन डीएनए अणु के स्वयं पर मोड़ने
(twisting) की प्रक्रिया है जिससे डीएनए के समस्त अणुओ का कुछ प्रोटीन ( हिस्टोन ) की सहायता से बार–बार या कई बार कुण्डलन होकर केन्द्रक में व्यवस्थित होना ही डीएनए
पैकेजिंग कहलाता है।
• मानव शरीर की प्रत्येक कोशिका में डीएनए 46 की संख्या में पाये जाते हैं।
• एक कोशिका में पाये जाने वाले सभी डीएनए की लम्बाई 2 मीटर होती हैं और मानव शरीर में लगभग 10¹⁴ कोशिका पाई जाती हैं। तो डीएनए की कुल लंबाई 2X10¹⁴ होगी।
पराकुण्डलन के प्रकार
• ऋणात्मक पराकुण्डलन (Negetive supercoiling):
° डीएनए को खोलने (unwind) की प्रवृत्ति को बढ़ाता
है ।
° प्रायः जीवाणुओं और यूकेरियोटिक कोशिकाओं में होता हैं।
° डीएनए प्रतिलिपि (Replication) और ट्रांसक्रिप्शन में सहायक।
•• धनात्मक पराकुण्डलन (positive supercoiling)
° डीएनए को अधिक कसने ( overwinding) का कार्य करता है।
° अत्यधिक तनाव में डीएनए की स्थिरता बढा़ता है
जैसे उच्च तापमान पर रहने वाले जीवों में।
पराकुण्डलन को नियंत्रित करने वाले हार्मोन
• टोपोआइसोमेरेज (Topoisomerase):
ये एंजाइम डीएनए के घुमाव को काटकर और पुनः जोड़कर तनाव को कम करते हैं।
• डीएनए गिराज़ (DNA Gyrase):
एक विशेष प्रकार का टोपोआइसोमेरेज़ जो ऋणात्मक पराकुण्डलन उत्पन्न करता हैं।
पराकुण्डलन का जैविक महत्व
• डीएनए का संकुचन और सघनन संभव होता हैं।
• जीनो तक पहुंचने में सहायक होता हैं।
• कोशिका विभाजन और जीन अभिव्यक्ति (Gene expression ) में आवश्यक भूमिका निभाता है।
निष्कर्ष :
डीएनए का पराकुण्डलन प्रकृति की एक अद्भुत रणनीति है।
जिससे विशाल आनुवांशिक सामग्री को छोटी कोशिका में व्यवस्थित रूप से संग्रहित और नियंत्रित किया जा सकता है।
इसके जीवन की मौलिक प्रक्रियाएं बाधित हो जाती हैं।

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