मानव विज्ञान लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
मानव विज्ञान लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 26 जुलाई 2025

मानव जनन तंत्र (human reproductive system ) क्या है यह कैसे कार्य करता है व इसके प्रकार, नोट्स।

 Human reproduction system 



Preface :

मानव जीवन की निरंतरता जनन प्रकिया पर निर्भर है। जनन तंत्र वह जैविक प्रणाली है जो संतानोत्पत्ति (Reproduction) में सहायक होती है। मानवों में यह तंत्र स्त्री और पुरुष में भिन्न होता हैं। इस लेख में हम पुरुष एवं स्त्री जनन तंत्र की संपूर्ण जानकारी, उनके कार्य, अंगों और हार्मोन से संबंधित सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को सरल भाषा में समझेंगे।


 What is reproduction?

जनन (Reproduction) वह जैविक प्रक्रिया है जिसके द्वारा जीव अपनी संतति को उत्पन्न करते हैं। यह दो प्रकार का होता है: 

  1. अलैंगिक जनन(Asexual Reproduction)— जैसे अमीबा,हाइड्रा आदि में।
  2. लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)— मानवों में, जिसमें नर और मादा दोनों की भागीदारी होती हैं। 

मानव जनन तंत्र के प्रकार 

मानवों में जनन तंत्र को दो भागों में बांट गया है: 

1. पुरूष जनन तंत्र (Male Reproduction System)

2. स्त्री जनन तंत्र (Female Reproduction System) 


1. पुरूष जनन तंत्र (Male Reproduction System):


• पुरूष जनन तंत्र शरीर के श्रोणी क्षेत्र (पेल्विस रीजन) में व्यवस्थित होता है।

• प्रत्येक वृषण पालिका के अंदर एक से लेकर तीन अति कुण्डलित शुक्र जनन नलिकाएं (Seminifens tubules) होती है। जिनमें में शुक्राणु पैदा होते हैं।

• शुक्रजनन नलिकाओं का भीतरी भाग दो प्रकार की कुछ कोशिकाओं से आवरित रहता है जिन्हें नर जर्म  कोशिकाएं (Spermatogonia) और सर्टोली कोशिकाएं कहते हैं।

• नर जर्म कोशिकाएं में अर्द्धसूत्री विभाजन से शुक्राणुओं का निर्माण होता है जबकि सर्टोली कोशिकाएं नर जर्म कोशिकाएं कुपोषण प्रदान करती हैं।

• शुक्रजनन नलिकाओं के बाहरी क्षेत्र को अंतराली अवकाश कहा जाता है 

• अंतराली अवकाश में छोटी-छोटी रुधिर वाहिकाएं और अंतराली कोशिकाएं (Interstitial cells) या लीडिंग कोशिका होती हैं।

• लीडिंग कोशिका एंड्रोजन नामक वृषण हार्मोन संश्लेषित व स्रावित करती हैं। 

• पुरूष लिंग सहायक नलिकाओं के अंतर्गत वृषण जालिकाऍं,शुक्रवाहिकाए, अधिवृषण (Epididymis) तथा शुक्रवाहक होते हैं। 

 वृषण की शुक्रजनन नलिकाएं वृषण नलिकाओं के माध्यम से शुक्रवाहक में खुलती है। 
यह शुक्रवाहिका वृषण से चलकर अधिवृषण में खुलती है। 

• अधिवृषण के शुक्रवाहिका - शुक्रवाहक की और खुलती है। 
शुक्रवाहक ऊपर उदर की और जाते हुए मूत्राशय के ऊपर लूप बनाती है। 

• इसमें शुक्राशय से एक वाहिनी शुक्रवाहिका आती है जो मूत्र मार्ग में स्खलनीय वाहिनी के रूप में खुलती हैं।

• शुक्राशय वृषण में प्राप्त शुक्राणुओं का भंडारण तथा मूत्रमार्ग में इसका स्थानांतरण करती हैं।            मूत्रमार्ग मूत्राशय में निकल कर पुरुष के शिशन (Penis)  के माध्यम से गुजरता हुआ बाहर की और एक छिद्र के रूप में खुलता है जिसे मूत्राशय मुख कहते हैं। 








2.स्त्री जनन तंत्र(Female Reproduction System):

• स्त्री जनन तंत्र के अंतर्गत एक जोड़ा अंडाशय(ovary) साथ-² एक जोड़ा अंडवाहिनी (oviduct) होती हैं 

• एक गर्भाशय (Uterus)एक गर्भाशय ग्रीवा (uterine cervix ) तथा एक योनि  (Vagina) और बाह्य जननेन्द्रिय(external genitalia) शामिल हैं। जो श्रोणी क्षेत्र में होते हैं।

• जनन तंत्र के ये सभी अंग एक जोड़ा स्तन ग्रंथियों (mammary glands) के साथ संरचनात्मक और क्रियात्मक रूप में संयोजित होते हैं।

• अंडाशय स्त्री के प्राथमिक लैंगिक अंग है जो स्त्री युग्मक (अंडाणु/ओवम) और कई स्टेराॅयड हार्मोन (अंडाशयी हार्मोन) उत्पन्न करते हैं। 

• श्रोणी भिती तथा गर्भाशय से स्नायुओं (लिंगामेंट्स) द्वारा जुड़ा होता है। 

• प्रत्येक अंडाशय एक पतली उपकला से ढका होता है जो कि पीठीका (ओवेरियन स्ट्रोमा) से जुड़ा होता है।

• अंडवाहिनी (डिम्बवाहिनी नलिका/फेलोपिन नलिकाओं) गर्भाशय तथा योनि मिलकर स्त्री सहायक नलिकाएं बनाती हैं‌।

• प्रत्येक डिम्बवाहिनी नली लगभग 10-12 सेंमी लंबी होती है जो प्रत्येक अंडाशय की परिधि से चलकर गर्भाशय तक जाती हैं।

• अंडाशय के ठीक पास डिम्बवाहिनी का हिस्सा कीप के आकार का होता है जिसे कीपक (इंफन्डीबूलम) कहा जाता है। 

• इस कीपक के किनारे अंगुलि संदृश्य  प्रक्षेप(प्रोजेक्शन) होते हैं जिसे झालर(फिंब्री) कहते हैं।

• कीपक आगे चलकर अंडवाहिनी के एक चौड़े भाग में खुलता है जिसे तुबिंका(एंपुला) कहते हैं। 

• अंडवाहिनी का अंतिम भाग संकीर्ण पथ (इस्यमख) में एक संकरी अवकाशिका(ल्यूमेन) होती हैं जो गर्भाशय को जोड़ती हैं। 












स्त्री जनन तंत्र क अंग (बाह्य जननांग): 

जघन‌ शैल (मौंस प्यूबिस), वृहद भगोष्ठ (लैबिया मैजोरा), लघु भगोष्ठ (लेबिया माइनोरा), योनीच्छद (हाइमेन) और भगशेफ(क्लाइटोरिस) आदि होते हैं।

1. जघन शैल(mounts pubis): 

यह वसामय ऊतकों से बनी एक गद्दी सी होती है।  जो त्वचा और जघन बालों से ढकी होती है।


2. वृहद भगोष्ठ(labia majora):

ऊतकों का माॅंसल वलन (फोल्ड) हैं जो जघन शैल  से नीचे तक फैले होते हैं योनि द्वार को घेरे रहते हैं। 


3. लघु भगोष्ठ (Labia Minora):

ऊतकों का एक जोड़ा वलन होता है और यह वृहद भगोष्ठ के नीचे स्थित होता है। 


4. योनिच्छद (Hymen): 

योनि का द्वार प्रायः एक पतली झिल्ली जिसे Hymen  कहते हैं। यहां पतली झिल्ली द्वारा चारों तरफ से ढका होता हैं। 


5.भगशेफ (Clitoris):

एक छोटी सी अंगुली के आकार की संरचना है जो मूत्रद्वार के ऊपर दोनों लघु भगोष्ठ के ऊपर मिलन बिंदु के पास स्थित होती है। 
 

#. स्तन ग्रंथि (mammary gland):


• कार्यशील स्तन ग्रंथि सभी मादा स्तनधारियों का महत्वपूर्ण अभिलक्षण है।

• स्त्री में स्तन ग्रंथियों या स्तन में विभिन्न मात्राओं में वसा तथा ग्रन्थिल ऊतक(glandular tissue) होते हैं। 

• दोनों स्तनों में से प्रत्येक स्तन का ग्रन्थिल ऊत्तक 15-20 स्तन पालियों या मेमरी लोब्स में विभाजित होता हैं जिसमें Call lobes होते हैं जिसे कुपिका (Alveoli) कहते हैं।

• कूपिका की कोशिकाएं दुग्ध का स्रावण करती है  जो कूपिकाओं की गुहा (lumen) में एकत्रित होता है। कूपिकाएं स्तन नलिकाओं में खुलती हैं प्रत्येक पाली की नलिकाएं मिलकर स्तनवाहिनी या मैमरी डक्स (Mammary Duct) बनाती हैं। इस प्रकार की कई स्तनवाहिनीयां मिलकर एक वृहद स्तन तुम्बिका (Mammary and Pully) बनाती है जो दुग्ध वाहिनी या लैक्टीफेरस से जुड़ा होता है इसी दुग्ध वाहिनी से दुग्ध बाहर आता हैं। 



 निष्कर्ष:

मानव जनन तंत्र जीवन की नींव है। इसकी सही जानकारी ने केवल शैक्षणिक दृष्टि से आवश्यक है बल्कि स्वास्थ्य और समाज की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मनुष्य जनजाति को आगे बढ़ाने की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया व नाजुक अंग होते हैं। छात्रों को इसके विभिन्न पहलुओं को समझना चाहिए ताकि वे जीवन के इस आवश्यक पक्ष को वैज्ञानिक रूप से देख सकें। 

गुरुवार, 26 जून 2025

फ्रेम शिफ्ट उत्परिवर्तन (Frameshift Mutation) क्या होता हैं व इसके प्रकार । संपूर्ण नोट्स

Frameshift Mutation 

 





Definition: परिभाषा 

 फ्रेम शिफ्ट उत्परिवर्तन एक प्रकार का आनुवांशिक परिवर्तन (Mutation) है। जिसमें DNA अनुक्रम (sequence) में 
एक या अधिक न्यूक्लियोटाइड्स का जोड़ (Insertion) 
या हटाना (Deletion) होता है, जिससे रीडिंग फ्रेम पूरी तरह बदल जाता हैं। 



📝मूल बातें (Basic concepts): 


📖 उत्परिवर्तन (Mutation) क्या होता है? 

  • यह DNA अनुक्रम में होने वाला स्थायी परिवर्तन है। 
  • इससे प्रोटीन की संरचना और कार्य प्रभावित हो सकते हैं। 

📖 रीडिंग फ्रेम (Reading Frame): 

  • DNA से mRNA बनता है और mRNA से प्रोटीन। 
  • प्रोटीन निर्माण में mRNA के तीन-तीन न्यूक्लियोटाइड्स (Codons) पढ़े जाते हैं। 
  • जब रीडिंग फ्रेम बदल जाता है, तो पूरी प्रोटीन गलत बन जाती है।