फ्रेम शिफ्ट उत्परिवर्तन (Frameshift Mutation) क्या होता हैं व इसके प्रकार । संपूर्ण नोट्स
Frameshift Mutation
Definition: परिभाषा
फ्रेम शिफ्ट उत्परिवर्तन एक प्रकार का आनुवांशिक परिवर्तन (Mutation) है। जिसमें DNA अनुक्रम (sequence) में
एक या अधिक न्यूक्लियोटाइड्स का जोड़ (Insertion)
या हटाना (Deletion) होता है, जिससे रीडिंग फ्रेम पूरी तरह बदल जाता हैं।
📝मूल बातें (Basic concepts):
📖 उत्परिवर्तन (Mutation) क्या होता है?
- यह DNA अनुक्रम में होने वाला स्थायी परिवर्तन है।
- इससे प्रोटीन की संरचना और कार्य प्रभावित हो सकते हैं।
📖 रीडिंग फ्रेम (Reading Frame):
- DNA से mRNA बनता है और mRNA से प्रोटीन।
- प्रोटीन निर्माण में mRNA के तीन-तीन न्यूक्लियोटाइड्स (Codons) पढ़े जाते हैं।
- जब रीडिंग फ्रेम बदल जाता है, तो पूरी प्रोटीन गलत बन जाती है।
🔎 फ्रेम शिफ्ट उत्परिवर्तन के प्रकार:
1. जोड़ उत्परिवर्तन (Insertion mutations):
- DNA अनुक्रम में अतिरिक्त न्यूक्लियोटाइड्स जुड़ जाता हैं।
- इससे बाकी के Codan गलत पढ़ें जाते हैं।
2. हटाना उत्परिवर्तन (Deletion Mutations):
- DNA से एक या अधिक न्यूक्लियोटाइड्स हटा दिए जाते हैं।
- इससे Codan की पूरी श्रृंखला बदल जाती हैं।
🌀 Effect :
1. Non-functional protein:
गलत प्रोटीन बनती है जो शरीर में कार्य नहीं करती।
2.Harmful diseases:
- थैलेसीमिया (Thalassemia)
- सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic Fibrosis)
- टे सैक्स रोग (Tay-Sachs Diseases)
- कैंसर कुछ रूप
3.Protein Truncation:
- अचानक स्टाॅप कोडन आ जाता है और प्रोटीन अधूरी रह जाती है।
🧬 genes with high impact :
- जीन जो एंजाइम्स, हार्मोन या संरचनात्मक प्रोटीन बनाते हैं।
- Example: CFTR जीन,BRCA1 जीन।
🩺 उपचार और अनुसंधान:
- Gene Therapy:
- गलत जीन को सही करने का प्रयास।
- Example: CRISPR-Cas9 तकनीक।
2.Prenatal Genetic Testing:
- जन्म से पहले म्यूटेशन की जांच।
3.ड्रग थैरेपी:
- लक्षणो को नियंत्रित करने के लिए दवाइयां।
🧠 याद रखने योग्य बातें:
बिंदु विवरण
उत्परिवर्तन DNA अनुक्रम में परिवर्तन
फ्रेम शिफ्ट Insertion/Deletion के
कारण कोडन का क्रम बदलना
मुख्य असर गलत प्रोटीन निर्माण
बीमारियां थैलेसीमिया, कैंसर, सिस्टिक
फाइब्रोसिस
समाधान Gene Therapy,CRISPR,Early Detection
🖍️ निष्कर्ष (Conclusion):
फ्रेम शिफ्ट उत्परिवर्तन एक छोटा- सा Topic है परन्तु गंभीर अनुवांशिक परिवर्तन है जो शरीर में बड़े स्तर का प्रभाव डाल सकता है। यदि समय पर इसकी पहचान और इलाज़ किया जाए तो कई गंभीर बीमारियों को रोका जा सकता है। आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी और जीन संपादक तकनीकें इस दिशा में आशा की किरण बनकर उभरीं है।
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