मंगलवार, 4 फ़रवरी 2025

आनुवंशिकता का गुणसूत्रीय सिद्धांत (chromosomal theory of heredity)

#.आनुवंशिकता का गुणसूत्रीय सिद्धांत – 

→कोशिकाओ के केन्द्रक में एक धागेनुमा संरचना पाई जाती हैं, जिसे वाल्डेयर नामक वैज्ञानिक ने 1888ई. में गुणसूत्र नाम दिया।
→सटन और बोवेरी ने 1902ई. में एक सिद्धांत प्रतिपादित किया, जिसे आनुवांशिकता का गुणसूत्रीय सिद्धांत कहते हैं। इसके अनुसार अनुवांशिक गुणो की इकाइयां जीन के द्वारा ही अर्द्धसूत्री विभाजन के समय गुणो का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरण होता है।
→1909ई. में जोहान्सन ने कारक की जगह जीन शब्द का प्रयोग किया।
→सन् 1933 में V.S.margan ने सटन और बोवेरी का समर्थन किया। उन्होंने यह बताया कि विशिष्ट जीन विशिष्ट गुणसूत्र से संबंधित होता है।
→मेंडल के सिद्धान्तों की पुनर्खोज से आनुवांशिकता के गुणसूत्री सिद्धांत पर बल दिया। इस सिद्धांत की मुख्य बातें निम्न हैं।
१. गुणसूत्र एवं कारक द्विगुणित कोशिकाओं में जोड़े में पाये जाते हैं।
२. गुणसूत्र एवं जीन युग्मक्को के निर्माण के समय में अलग-अलग हो जाते हैं।



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