लिंग निर्धारण ( Sex determination) क्या होता है इसके प्रकार व कार्य ?
Sex Determination
Preface :
मानव विज्ञान में “लिंग निर्धारण” एक महत्वपूर्ण विषय है यह प्रक्रिया तय करती हैं कि किसी जीव में नर (पुरुष) लक्षण विकसित होंगे या मादा (महिला) लक्षण। चाहे वह मनुष्य हो, पशु-पक्षी या कीट-पतंगे – प्रत्येक जाति किसी न किसी तरीके से लिंग निर्धारण है। ब्लॉग में इस प्रक्रिया को सरल और वैज्ञानिक तरीके से समझाने का प्रयास करेंगे।
लिंग निर्धारण क्या है?
लिंग निर्धारण (Sex Determination) यह जैविक प्रक्रिया है जिसके द्वारा यह तय होता हैं कि कोई जीव नर (Male) होगा या मादा (Female) ।
यह निर्धारण आमतौर पर जीव की आनुवांशिक संरचना (Genetic Makeup) पर निर्भर करता हैं, विशेष रूप से गुणसूत्रों (Chromosomes) पर।
लिंग निर्धारण के प्रकार
1.क्रोमोसोमल लिंग निर्धारण
XY प्रकार – मानवों में
• मानव शरीर 46 गुणसूत्र होते हैं, जिनमें से दो लैंगिक गुणसूत्र (Sex Chromosomes) होते हैं।
व्यक्ति गुणसूत्र (Sex Chromosome
Male XY
Female XX
• यदि शुक्राणु में Y गुणसूत्र है → लड़का (XY)
अन्य जीवों में विभिन्न प्रणालियां:
2.पर्यावरणीय लिंग निर्धारण
🔺 Example:
3.जिनीय लिंग निर्धारण
#.मानवों में भ्रूण अवस्था में लिंग निर्धारण
SRY जीन क्या है?
• यह Y गुणसूत्र पर स्थित एक जीन है।
• इसका कार्य पुरूष जनन अंगों के विकास को आरंभ करना है।
→ यदि SRY कार्य नहीं करे तो XY होते हुए भी मादा शरीर बन सकता है।
लिंग निर्धारण से संबंधित कुछ विकार
∆ टर्नर सिंड्रोम (Turner Syndrome)
∆ क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम (Klinefelter Syndrome)
• व्यक्ति पुरूष होता है परन्तु स्त्री लक्षण भी होते हैं (स्तन विकास आदि)
Important points:
• लिंग निर्धारण निषेचन के समय ही हो जाता है।
• SRY जीन Y गुणसूत्र पर होता है और यह पुरूष लक्षण उत्पन्न करता है।
• पर्यावरणीय प्रणाली में तापमान या सामाजिक स्थिति से लिंग तय होता है।
• लिंग निर्धारण के विकारों में टर्नर, क्लाइनफेल्टर और इंटरसेक्स शामिल हैं।
• भ्रूण लिंग परीक्षण भारत में प्रतिबंधित है।
अध्ययन के लिए उपयोगी प्रश्न:
2. SRY जीन का क्या कार्य है?
3. XY प्रणाली और ZW प्रणाली में अंतर बताइए।
4. पर्यावरणीय लिंग निर्धारण का उदाहरण दीजिए।
5. क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम में क्या गुणसूत्र संरचना होती हैं?
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