फ्रेम शिफ्ट उत्परिवर्तन (frame shift mutation)
#.फ्रेम शिफ्ट उत्परिवर्तन=
→इसमें एक न्यूक्लियोटाइड को हटाकर नये न्यूक्लियोटाइड को जोड़ देते हैं लेकिन हटाए गए न्यूक्लियोटाइड पुराने वाले अमिनो अम्ल को ही coded करते हैं जिसके लक्षण में उत्परिवर्तन नहीं होता हैं।
> उत्परिवर्तन की विशेषताएं=
० जीवो में अचानक उत्परिवर्तन उत्पन्न होते हैं।
० इसकी कोई निश्चित दिशा नहीं होती हैं।
० उत्परिवर्तन द्वारा नये गुण उत्पन्न होते है, जिससे नई जाति का विकास होता हैं।
० जो उत्परिवर्तन जनन कोशिका में उत्पन्न होते हैं वही वंशागत होते हैं
० यह लिंग सहलग्न लक्षण संतानो में रोग के रूप में दर्शित होता हैं। और यह प्राय: X लिंग गुणसूत्र पर स्थित होता हैं।
० मानव में लिंग सहलग्न वंशागति प्रायः वर्णांधता तथा हीमोफीलिया के रूप में पाया जाता हैं।
१. वर्णांधता (colour bliendness)-
→लाल हरे में व्यक्ति द्वारा अंतर न कर पाना, वर्णांधता कहलाता है। इसे प्रोटोन दोष या लाल-हरा अंधापन भी कहते हैं।
२.हीमोफीलिया( Hemophilia)
→यह रोग सर्वप्रथम यूरोप के महारानी विक्टोरिया को हुआ जो एक रक्त संबंधी रोग हैं इसमें रोगी व्यक्ति को चोट लगने पर खून का बहना बंद नहीं होता हैं। क्योंकि ऐसे व्यक्ति में रक्त का थक्का बनाने वाला प्रोटीन (V ३). (i x) प्रायः जीन उत्परिवर्तन के कारण अनुपस्थित होता है
यह रोग प्रायः पुरूषों में ही पाया जाता है, इसे रक्त स्त्रावण रोग भी कहते हैं।
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