चिकित्सा क्षेत्र में विज्ञान का योगदान: विज्ञान के माध्यम से दवाईयां कैसे बनती हैं, (Contribution of science in medical field)

 दैनिक जीवन में  विज्ञान का दवाईयां में योगदान 

 



(ज्ञानवर्धक और निमार्णाधीन पेज़) 


हमारे  जीवन में  विज्ञान का  प्रभाव  हर क्षेत्र  में देखने  को मिलता है,  लेकिन  जब बात  स्वस्थ्य और  दवाइयों  की होती हैं, तो  इसका  महत्व  और भी  अधिक  बढ़  जाता  है। दवाइयों के  क्षेत्र में  विज्ञान ने  जो  क्रांति  लाई है,  उसने न केवल  रोगों  को  नियंत्रित  किया है,  बल्कि  लाखों  जान बचाने  में  भी मदद  की है।  आज  हम  जिस  स्वास्थ्य  सेवाओं का  लाभ  उठा  रहे हैं,  वह  आधुनिक  विज्ञान  और अनुसंधान का परिणाम है। 



दवाइयों का इतिहास और विज्ञान का आरंभिक योगदान : 


दवाइयों  का  इतिहास  हजारों  वर्षों पुराना  है।  पहले  लोग पेड़-पौधों  से प्राकृतिक  औषधियां  बनाकर  इलाज  करते थे। 

जैसे  नीम,  तुलसी,  हल्दी  आदि  का  उपयोग।  लेकिन जैसे-जैसे विज्ञान ने प्रगति की, इन पारंपरिक औषधियां के घटकों को वैज्ञानिक रूप से पहचाना गया और दवाओं का रूप मिला। 


19वीं सदी में विज्ञान ने रसायनों की खोज, उनकी संरचना और उनके शरीर पर प्रभाव को समझना शुरू किया।  इसी दौरान आधुनिक औषधि विज्ञान ( Pharmacology) का जन्म हुआ। 



दवाइयों की खोज में रसायन विज्ञान (Chemistry ⚗️) की भूमिका : 


रसायन विज्ञान,  औषधियों के  निमार्ण का आधार है। यह समझने में मदद करता है कि कौन से यौगिक ( compound) किस बीमारी पर कैसे असर करते हैं। 

some examples :

• पैरासिटामोल: बुखार और दर्द में दी जाने वाली यह दवा वैज्ञानिक रूप से सिंथेसाइज़ की गई । 

• पेनिसिलिन: यह पहली एंटीबायोटिक थी, जिसे अलेक्जेंडर फ्लेमिंग रूप ने खोजा। इसने बैक्टीरिया से लड़ने मैं चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति लाई गई। 



दवाइयों के विकास में जैव प्रौद्योगिकी (Biotechnology) 


बायोटेक्नोलॉजी  का  उपयोग  करके  अब  वैज्ञानिक  शरीर के भीतर  होने  वाली  प्रक्रियाओं  को समझते हैं ‌ और  उसी के अनुसार  दवाईयां  तैयार  करते हैं । 

जैविक दवाएं (Biological Drugs) जैसे: 


• इंसुलिन — पहले  यह  जानवरों  से  प्राप्त  होता  था, 
   लेकिन  अब  जेनेटिक  इंजीनियरिंग  से  इंसानी  शरीर के अनुरूप  इंसुलिन  बनाया  जाता हैं

• वैक्सीन — COVID-19 वैक्सीन  इसका  उत्कृष्ट उदाहरण है,  जिसे mRNA   तकनीक  से तैयार  किया  गया । 




फार्माकोलॉजी: शरीर  पर  दवाइयों  के  प्रभाव  का विज्ञान : 

फार्माकोलॉजी  यह  उल्लेख  करती है  कि कोई  दवा शरीर में जाक र किस  प्रकार  असर करती  है। इसके  दो प्रमुख  भाग होते हैं: 


• फार्माकोकाइनेटिक्स — दवा  शरीर  में  कैसे  अवशोषित होती हैं,  कैसे  घूमती है, और  कैसे  समाप्त  होती है। 

• फार्माकोडायनामिक्स — दवा शरीर पर क्या प्रभाव डालती हैं। 


इस  ज्ञान  के बिना  सही  मात्रा  और सही  समय  पर  दवा देना संभव  नहीं  होता। 




एंटीबायोटिक्स और आधुनिक चिकित्सा 

एंटीबायोटिक्स  का  आविष्कार  आधुनिक  चिकित्सा  विज्ञान का  एक  चमत्कारी  योगदान  है।  पहले  साधारण  संक्रमण भी  जानलेवा  हो सकते  थे, लेकिन  अब  दवाइयों  की सहायता  से  उन्हें नियंत्रित  किया  जा सकता है। 


• ट्यूबरकुलोसिस (TB) , न्युमोनिया, टाइफाइड 
जैसी  बीमारियां  अब  आसानी  से  ठीक  हो जाती हैं। 

हालांकि, विज्ञान  हमें  चेतावनी  भी  देता  है कि  एंटीबायोटिक का  अधिक  प्रयोग  खतरनाक  हो  सकता  है  जिससे “ एंटीबायोटिक  रेसिस्टेंस ”‌की  समस्या  होती हैं। 




वैक्सीन: रोकथाम  की  दिशा  में विज्ञान  की  बड़ी सफलता 


दवाइयों  का  उद्देश्य  सिर्फ  इलाज  नहीं  बल्कि  रोकथाम है। वैक्सीन  इसके  लिए  सबसे  प्रभावशाली  माध्यम है। 


• चेचक (Smallpox)  जैसी  बीमारी  का  पूरी  तरह से उन्मूलन  वैक्सीन  से  संभव  हुआ। 


• COVID-19 महामारी  में विज्ञान  ने  रिकॉर्ड  समय में वैक्सीन  बनाकर  लाखों  लोगों  की  जान  बचाई। 



आधुनिक  तकनीक  और  दवाइयों  की  डिलीवरी प्रणाली 


अब  दवाईयां  सिर्फ  गोली या  इंजेक्शन  के रूप  में  ही  नहीं बल्कि  उन्नत तकनीक  से दी जा रही हैं: 

• नैनोटेक्नोलॉजी – दवा  को  सूक्ष्म  कणों  के  रूप  में शरीर के  लक्षित  हिस्से  तक  पहुंचाना। 

• ट्रांसडर्मल पैच – त्वचा  के  माध्यम  से धीरे-धीरे दवा का अवशोषण। 

इन्हेलेबल दवाइयां – जैसे अस्थमा में उपयोग की जाने वाली दवाइयाॅं । 



कृत्रिम बुद्धिमता (AI) और दवा अनुसंधान 


आज  कल (AI)  और  मशीन  लर्निंग  का  उपयोग  करके  नई दवाइयों  की  खोज  की जा  रही हैं। इससे  समय  और  लागत दोनों  की  बचत  होती हैं। 

 • ड्रग डिस्कवरी  – अब  AI मॉडल  यह  अनुमान  लगा सकते  हैं  कि  कौन-सा  रासायनिक  यौगिक  किस  बीमारी  में काम  आ सकता है। 

• क्लिनिकल ट्रायल में मदद – मरीजों  का  डेटा देखकर  यह तय  करना  कि  किस पर  कौन-सी  दवा  प्रभावी  होंगी। 



. दवाइयों  की गुणवत्ता  और  सुरक्षा: विज्ञान की सतर्क  निगरानी 


हर  दवा  को  बाजार  में  आने से  पहले  क्लिनिकल  ट्रायल, लैब  परीक्षण  और  सरकारी  मंजूरी  से गुजरना  पड़ता है।                यह  सुनिश्चित  करने के  लिए कि दवा: 


• प्रभावी हो 

• सुरक्षित हो

• साइड इफेक्ट्स न हो। 

यह सभी प्रक्रियाएं वैज्ञानिक विधियों पर आधारित होती है। 



° भविष्य में विज्ञान और दवाइयों की अनुसरण: 


भविष्य  में विज्ञान  के और विकास के  साथ  हम निम्नलिखित क्षेत्रों  में बड़ी  प्रगति  देख सकते हैं। 

• पर्सनलाइज्ड मेडिसिन – हर  व्यक्ति  के  जीन  के अनुसार    दवा देना। 

• जीन थेरेपी – खराब  जीन  को  बदलकर  रोगों का इलाज करना । 

• 3D प्रिंटेड दवाइयाॅं – रोगी  की  जरूरत के  अनुसार तुरंत दवा  तैयार  करना। 


   

           ::::::::::::::::::निष्कर्ष:::::::::::::::::::::

हमारे  दैनिक  जीवन  में चाहे  वह  सर्दी - जुकाम  की  दवा हो या  किसी  बड़ी  बीमारी का  इलाज,  हर  जगह  विज्ञान  की देन  हैं।  यह  हमें  न  केवल  स्वस्थ्य  रखने  में  बल्कि  जीवन की  गुणवत्ता  बेहतर बनाने  में  मदद  करता है। 

जब  हम  किसी  मेडिकल  स्टोर  से दवाई  खरीदते  हैं, तो शायद  हमें  यह ना  लगे  कि  उसके  पीछे  वर्षों  की  वैज्ञानिक खोज,  अनुसंधान, परीक्षण  और  समर्पण  छिपा है।  इसलिए यह  जानना  और समझना  जरूरी है कि 

विज्ञान  का  योगदान  सिर्फ  प्रयोगशालाओं  तक  सीमित नहीं,  बल्कि  हमारी  रोजमर्रा  की  जिंदगी  में  गहराई से जुड़ा  हुआ है।




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