आयुर्वेदिक विज्ञान:(Ayurvedic Science) आयुर्वेदिक औषधियाॅं किससे बनती है?

 आयुर्वेदिक औषधियाॅं  किससे बनती है? जानिए प्रकृति रोचक स्त्रोत : 



Role : 

भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद, न केवल रोगों के उपचार का माध्यम है बल्कि यह जीवन यापन की एक वैज्ञानिक और संतुलित विधि भी है। “आयु + वेद ”  यानी  “ “जीवन का ज्ञान ” – यही आयुर्वेद का मूल है। 
इसमें शरीर, मन और आत्मा तीनों की संतुलित स्थिति को स्वस्थ जीवन का आधार माना गया है। 

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि आयुर्वेदिक औषधियाॅं किस-किस प्राकृतिक स्त्रोत से प्राप्त होती हैं, और उनकी ‘निमार्ण ’ प्रक्रिया कैसी होती है। यह समझना जरूरी है, क्योंकि आयुर्वेदिक चिकित्सा में औषधि चयन का आधार सिर्फ शरीर नहीं, बल्कि व्यक्ति की प्रकृति ( दोष - वात, पित्त, कफ,) भी होता है


 

♦. आयुर्वेदिक औषधियों के प्रमुख स्त्रोत 


आयुर्वेदिक ग्रंथों जैसे कि चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, अष्टांग हृदयम् आदि में औषधियों के चार मुख्य स्रोत बताएं गए हैं। 


i. वनस्पति स्त्रोत ( Herbal sources) 

आयुर्वेदिक औषधियों का सबसे बड़ा और प्राकृतिक स्त्रोत वनस्पति है। ये औषधियां पौधों के विभिन्न अंगों से प्राप्त की जाती हैं। 

• जड़ें: जैसे अश्वगंधा, विदारीकंद 

• छाल: अर्जुन ( हृदय रोगों में उपयोगी) 

• पत्तियां: तुलसी, नीम 

• फूल: पलाश, गुड़हल 

• फल: आंवला, हरड़, बेहड़ा (त्रिफला के घटक) 

• बीज: मेथी, कालौंजी, इसबगोल 


इस वनस्पतियों का उपयोग पाउडर, क्वाथ (काढ़ा), घनसत्व, अर्क, तेल आदि रूपों में किया जाता है। 


Example: 


• गिलोय (Tinospora cordifolia): रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के योग्य ।

• ब्राह्मी (Bacopa monnieri): मानसिक बल और याददाश्त के लिए 

• हरिद्रा (हल्दी): सूजन रोधक, रक्त शोधक । 



ii. खनिज स्त्रोत (Mineral Sources - Rasa Shastra) 

आयुर्वेद में कुछ औषधियाॅं धातुओं और खनिजों से भी बनाई जाती हैं, जिन्हें रस- औषधियां कहा जाता है। ये उच्च स्तर पर शोधित और संसाधित की जाती हैं ताकि शरीर द्वारा इन्हें सरलता से ग्रहण किया जा सके है।


प्रमुख खनिज स्त्रोत है: 


• धातुएं: सुवर्ण (सोना), रजत (चांदी), लौह (लोहा), ताम्र (तांबा) 

• खनिज: अभ्रक, शिलाजीत,मणि (मोती), शंख, स्फटिक 

• भस्म (Ashes): धातु को शुद्ध कर उच्च ताप पर जलाने के बाद बनाई जाती हैं, जैसे लौह भस्म, सुवर्ण भस्म 



विशेष जानकारी: 
रस- औषधियां कम मात्रा में अत्यधिक प्रभावशाली होती हैं। ये गंभीर रोगों जैसे कैंसर, थायरॉइड, लीवर रोगों, बांझपन आदि में प्रयोग की जाती हैं – परंतु केवल योग्य वैद्य की देखरेख में। 




iii. पशु स्त्रोत (Animal- based products): 

आयुर्वेद में कुछ औषधियाॅं पशु उत्पादों से भी बनती हैं। ये सभी स्त्रोत नैतिकता और शुद्धता के उपयोग किए जाते हैं। 


• दूध और दूध से बने पदार्थ: गाय का दूध, 
    दही, मख्खन, घी।


• शहद (Haney): प्राकृतिक एंटीबायोटिक, अमृत तुल्य हैं 


• मधुमक्खी का मोम (Beeswax): त्वचा की औषधियों में।


NOTE: आधुनिक आयुर्वेद में पशु- उत्पन्न औषधियां कम ही प्रयोग होती हैं और केवल परंपरागत ग्रंथों के आधार पर चयनित होती हैं। 



iv. समुद्र और प्राकृतिक स्त्रोत ( sea and natural sources) 

कुछ उसे दिया समुद्री खनिजों और प्राकृतिक पदार्थों से बनती हैं। 

• शंख भस्म (Canch Ash): अम्लपित्त (एसिडिटी) 
में लाभकारी।

मोती भस्म ( Pearl ash): शीतल प्रभाव, मानसिक संतुलन । 

• लवण (सेंधा नमक, सौधव लवण): पाचन में उपयोगी। 


• शिलाजीत: हिमालय से प्राप्त, ऊर्जा और प्रजनन क्षमता में प्रभावी। 



♦ औषध निर्माण प्रक्रिया (Processing of Ayurvedic medicine): 

आयुर्वेदिक औषधियां केवल कच्चे तत्वों को मिलाकर नहीं बनाई जातीं,ब




i. संकलन (Collection):

• सही ऋतु स्थान और समय पर औषधि संग्रह की जाती है। 


ii. शोधन (Purification): 

• खनिज या विषाक्त पदार्थों को शुद्ध किया जाता है, 
जैसे भस्म बनाने से पहले धातुओं का शोधन। 

iii.मर्यादा (Standardization): 

• मात्रा, समय, औषधि की प्रकृति के अनुसार संतुलन बनाया जाता हैं। 


iv. संयोग और पाक ( Combining & Cooking) 

• विभिन्न घटकों को मिलाकर काढ़ा, चूर्ण, वटी (गोलियॉं), तेल, लेप, बंटी आदि बनते हैं। 

v. भंडार और उपयोग: 

• सही तापमान, नमी, प्रकाश, आदि से औषधि को सुरक्षित रखा जाता है। 




३. आयुर्वेदिक औषधियों के प्रकार:


आयुर्वेद में औषधियों को उनके रूप के आधार पर विभाजित किया गया है। 


• क्वाथ (काढ़ा) - उबालकर तैयार किया जाता है 


• अरिष्ट/ आसव - किण्वित औषधियां, जैसे दशमूलारिष्ट • 

• चूर्ण (पाउडर) - जैसे त्रिफला चूर्ण। 

• वटी (गोलियां) - जैसे अश्वगंधा वटी। 

• घृत (घी) - जैसे ब्राह्मी घृत । 

• तेल - जैसे नारायण तेल, महाब्रिंगराज तेल। 



४. आधुनिक युग में आयुर्वेद 

आज के दौर में आयुर्वेदिक औषधियां: 

• क्लिनिकल ट्रायल और वैज्ञानिक मूल्यांकन से गुजर रहीं हैं। 


• कई उत्पाद WHO मानकों के अनुसार बनाए जा 
रहे हैं। 

• बाजार में आयुर्वेदिक कैप्सूल, सिरप, हर्बल, काॅस्मेटिक्स, डाइट सप्लीमेंट्स के रूप में उपलब्ध है।





५. सावधानियां और सलाह: 

• आयुर्वेदिक औषधियां प्राकृतिक होती हैं, परंतु स्वनिर्णय से सेवन हानिकारक हो सकता है। 

• औषधि का चुनाव व्यक्ति की प्रकृति (वात, पित्त, कफ,) और स्थिति पर आधारित होता है। 


• केवल प्रमाणित वैद्य या डॉक्टर की सलाह से ही औषधि ले। 

नकली या मिश्रित औषधियों से सावधान रहें – 
प्रमाणित ब्रांड या वैद्य से ही खरीदें। 






<<<<<<<< निष्कर्ष >>>>>>>>>

आयुर्वेदिक औषधियों निस्संदेह प्रकृति की गोद से निकले हुए अद्भुत रत्न हैं। वे शरीर को सिर्फ रोगमुक्त नहीं करती, बल्कि संपूर्ण जीवन पद्धति को संतुलित बनाती है। आज जब लोग रसायनों से बने दवाओं से थक चुके हैं, तब आयुर्वेदिक चिकित्सा एक हरित और संतुलित विकल्प के रूप में सामने 
आ रही हैं। 

जब भी आप कोई आयुर्वेदिक औषधि लें, तो जान पाओगें कि उसके पीछे प्रकृति की कितनी वैज्ञानिकता, परंपरा और शुद्धता जुड़ी है। 

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